BA Semester-2 Ancient Indian History and Culture - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2723
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- मौखरी कौन थे? मौखरी राजाओं के जीवन तथा उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।

उत्तर-

मौखरी वंश एक प्राचीन वंश प्रतीत होता है। प्रसिद्ध वैयाकरण कय्यट और वामन दोनों ने अपने लेखों में 'मौखर्या' शब्द का प्रयोग किया है। पतंजलि ने अपने भाष्य में 'मुखर' शब्द का प्रयोग किया है। अतः विद्वानों का निष्कर्ष है कि मौखरी जाति निश्चित रूप से पतंजलि के समय तक (ई. पू. द्वितीय शताब्दी) एक महत्वपूर्ण जाति समझी जाती थी। पतंजलि का महाभाष्य पाणिनि की अष्टाध्यायी टीका पर आधारित है। कन्नौज के मौखरी वंश के विषय में जानकारी असीरगढ़ (बरार) राजमुद्रा से मिलती है। यह सबसे प्रमुख वंश था। इसमें निम्नलिखित राजा हुए- 

(1) महाराज हरिवर्मा
(2). महाराज आदित्यवर्मा
(3). महाराज ईश्वरवर्मा
(4) महाराजाधिराज ईशानवर्मा
(5) महाराजाधिराज सर्ववर्मा
(6). महाराजाधिराज अवन्तिवर्मा तथा
(7). महाराजाधिराज ग्रहवर्मा।

कान्यकुब्ज या कन्नौज के मौखरी वंश का प्रथम शासक हरिवर्मा था। असीरगढ़ राजमुद्रा में इसे- 'महाराज' कहा गया है। हरिवर्मा ही कन्नौज के मौखरी वंश का संस्थापक था। इनकी पत्नी भट्टारिका देवी जयस्वामिनी थी। हरहा अभिलेख में इसे 'ज्वालामुख' कहा गया है। हर्षचरित में अवन्तिवर्मा की प्रशंसा करते हुए कहा गया है कि "उसके काल में मौखरी वंश समस्त राजाओं का सिरमौर एवं भगवान शिव के चरण चिन्हों की भाँति समस्त संसार में पूजित था।' मुद्राराक्षस से पता चलता है कि उसने म्लेच्छों हूणों को जीता था। उसी के समय में थानेश्वर के पुष्यभूति वंश से मौखरी वंश का वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित हुआ जो तत्कालीन इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है। अवन्तिवर्मा के पुत्र ग्रहवर्मा के विषय में हर्षचरित में कहा गया है कि वह 'पृथ्वी पर सूर्य की भाँति' सुशोभित था। मगध के ऊपर उसका आधिपत्य समाप्त हो गया तथा वह केवल कन्नौज का शासक था। हर्षचरित से ज्ञात होता है कि उसका विवाह राज्यश्री के साथ हुआ था, जिससे वे दोनों राज्य परस्पर नजदीक आ गए। इसके विरुद्ध में मालवा के उत्तर- गुप्त वंशीय नरेश देवगुप्त तथा बंगाल के गौड़ वंशीय नरेश शशांक के बीच दूसरी सन्धि स्थापित की। हर्षचरित से पता चलता है कि जिस समय थानेश्वर में प्रभात वर्मन की मृत्यु हुई उसी समय देवगुप्त ने कन्नौज पर आक्रमण करके ग्रहवर्मा को मार डाला तथा राज्यश्री को कन्नौज के बन्दीगृह में डाल दिया। उसकी मुत्यु के साथ मौखरी साम्राज्य का अन्त हो गया तथा हर्ष ने अपनी राजधानी थानेश्वर से कन्नौज स्थानान्तरित कर ली। मौखरी शिव के उपासक थे!

मौखरि राजाओं की उपलब्धियाँ - मौखरि के प्रथम तीन राजाओं हरिवर्मा, आदित्यवर्मा और ईश्वर वर्मा सामन्त शासक थे। इन्हें एकमात्र 'महाराज' कहा गया है। सम्भवतः ये गुप्त सम्राटों के अधीन थे, लेकिन धीरे-धीरे मौखरि वंश की शक्ति बढ़ती जा रही थी तथा गुप्तों की शक्ति का ह्रास हो रहा था। ईश्वर वर्मा तथा ईशानवर्मा के सफल युद्धों ने मौखरि वंश की शक्ति का विस्तार किया, जिससे उनकी प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई। पहले तीसरे राजा ईश्वरवर्मा तथा अन्त में चौथे मौखरि नरेश ईशानवर्मा ने गुप्त साम्राज्य के विरुद्ध अपनी स्वतन्त्रता घोषित की। इसमें ईशानवर्मा को 'महाराजाधिराज' कहा गया है। इसने अपने नाम भी मुद्राएँ भी चलाई। इस प्रकार मौखरि राजाओं की उपलब्धियाँ बहुत है जिनमें इन्होंने अपने साम्राज्य की विस्तार बहुत दूर तक के प्रदेशों तक किया। वर्तमान उत्तर प्रदेश मौखरि साम्राज्य के अन्तर्गत था। इनके अभिलेख जौनपुर तथा हरहा ( बाराबंकी) में भी मिले हैं। इनकी मुद्राएँ मिटौरा, अयोध्या एवं अहिच्छत्र में मिली हैं किसी समय मगध भी मौखरि साम्राज्य का अंग रहा था। यहाँ से देववरनाक अभिलेख मिला है। अखमूथन महोदय पंजाब को भी मौखरि साम्राज्य का अंग मानते है। हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा जिले में प्राप्त निर्मन्द अभिलेख से इसका पता चलता है। मध्य प्रदेश के असीरगढ से भी मौखरि नरेश सर्ववर्मा भी राजमुद्रा मिली है। मौखरि साम्राज्य की पश्चिमी सीमा वर्धन वंश के थानेश्वर राज्य को छूती थी। मौखरि साम्राज्य की राजधानी कान्यकुब्ज थी। यही कारण है कि मालवराज ने ग्रहवर्मा को मारकर कुशस्थल (कान्यकुब्ज) कर अधिकार कर लिया था।

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले से प्राप्त निर्मन्द अभिलेख है। इसमें एक महाराज सर्ववर्मा का उल्लेख है। अखमूधन महोदय सर्ववर्मा को मौखरी नरेश सर्ववर्मा मानते है परन्तु यह समीकरण असंगत है क्योंकि निर्मन्द अभिलेख का सर्ववर्मा एक सामन्त शासक प्रतीत होता है, जबकि महाराजाधिराज सर्ववर्मा मौखरी एक प्रभुसत्ता धारी सम्राट था। पुनः हिमाचल प्रदेश और कान्यकुब्ज (कन्नौज) के मौखरी राज्य के बीच थानेश्वर का स्वतन्त्र राज्य था, अतः मौखरी हिमाचल प्रदेश तक अपना विस्तार कैसे कर सकते थे? मध्य प्रदेश के असीरगढ में मौखरी नरेश सर्ववर्मा की एक राजमुद्रा मिली है। इसी आधार पर अखमूधन ने मध्य प्रदेश को मौखरी साम्राज्य में माना है परन्तु एकमात्र राजमुद्रा के आधार पर इतना बड़ा निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है। यह राजमुद्रा किसी यात्री अथवा व्यापारी के माध्यम से भी मध्यप्रदेश में पहुँच सकती थी।

बाण के हर्षचरित से स्पष्ट हो जाता है कि मौखरि साम्राज्य की राजधानी कान्यकुब्ज अथवा कन्नौज थी। इसे महोदय नगर भी कहा जाता है। यही कारण है कि मालवराज ने ग्रहवर्मा को मारकर कुशस्थल (कान्यकुब्ज) पर अधिकार कर लिया था और उसकी पत्नी राज्यश्री को कान्यकुब्ज के कारागार में बन्द कर दिया था। विन्ध्याचल में अपनी बहन को ढूंढ़कर उसके साथ हर्ष कान्यकुब्ज ही वापस आयां था। मौखरियों के अभिलेख हरहा ( बाराबंकी) और जौनपुर में तथा सिक्के अहिच्छय और भिटौरा में प्राप्त हुए है। ये सभी स्थान कान्यकुब्ज के समीप हैं। इन प्रमाणों से कान्यकुब्ज मौखरियाँ की राजधानी प्रतीत होता है। हरहा अभिलेख उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में हरहा नामक ग्राम से प्राप्त हुआ है। इसे मौखरि नरेश ईशानवर्मा के पुत्र सूर्यवर्मा ने उत्कीर्ण कराया था। इसकी तिथि 611 विक्रम संवत् (554 ई.) है। जौनपुर अभिलेख में ईश्वर वर्मा की कृतियों का वर्णन है। असीरगढ़ की ताम्र- राजमुद्रा लेख मध्यप्रदेश में बुरहानपुर खण्डवा मार्ग पर असीरगढ़ के दुर्ग से प्राप्त हुई है। यह राजमुद्रा सर्वसेन ने निर्मित कराई थी। भिटौरा मुद्राभाण्ड उत्तर-प्रदेश के फैजाबाद जिले में भिटौरा नामक ग्राम में मौखरि मुद्राओं का एक भाण्ड मिला है। इस प्रकार उपर्युक्त समस्त वर्णित विषय मौखरि राजाओं की उपलब्धियाँ हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने हेतु उपयोगी स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की सुस्पष्ट जानकारी दीजिये।
  4. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
  5. प्रश्न- भास की कृति "स्वप्नवासवदत्ता" पर एक लेख लिखिए।
  6. प्रश्न- 'फाह्यान' पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  7. प्रश्न- दारा प्रथम तथा उसके तीन महत्वपूर्ण अभिलेख के विषय में बताइए।
  8. प्रश्न- आपके विषय का पूरा नाम क्या है? आपके इस प्रश्नपत्र का क्या नाम है?
  9. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - प्राचीन इतिहास अध्ययन के स्रोत
  10. उत्तरमाला
  11. प्रश्न- बिम्बिसार के समय से नन्द वंश के काल तक मगध की शक्ति के विकास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- नन्द कौन थे महापद्मनन्द के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  13. प्रश्न- छठी सदी ईसा पूर्व में गणराज्यों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  14. प्रश्न- छठी शताब्दी ई. पू. में महाजनपदीय एवं गणराज्यों की शासन प्रणाली के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  15. प्रश्न- बिम्बिसार की राज्यनीति का वर्णन कीजिए तथा परिचय दीजिए।
  16. प्रश्न- उदयिन के जीवन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  17. प्रश्न- नन्द साम्राज्य की विशालता का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- धननंद और कौटिल्य के सम्बन्ध का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- धननंद के विषय में आप क्या जानते हैं?
  20. प्रश्न- मगध की भौगोलिक सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
  21. प्रश्न- गणराज्य किसे कहते हैं?
  22. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - महाजनपद एवं गणतन्त्र का विकास
  23. उत्तरमाला
  24. प्रश्न- मौर्य कौन थे? इस वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का उल्लेख कीजिए तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
  25. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी उपलब्धियों और शासन व्यवस्था पर निबन्ध लिखिए|
  26. प्रश्न- सम्राट बिन्दुसार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  27. प्रश्न- कौटिल्य और मेगस्थनीज के विषय में आप क्या जानते हैं?
  28. प्रश्न- मौर्यकाल में सम्राटों के साम्राज्य विस्तार की सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
  29. प्रश्न- सम्राट के धम्म के विशिष्ट तत्वों का निरूपण कीजिए।
  30. प्रश्न- भारतीय इतिहास में अशोक एक महान सम्राट कहलाता है। यह कथन कहाँ तक सत्य है? प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- मौर्य साम्राज्य के पतन के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- मौर्य वंश के पतन के लिए अशोक कहाँ तक उत्तरदायी था?
  33. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के बचपन का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- अशोक ने धर्म प्रचार के क्या उपाय किये थे? स्पष्ट कीजिए।
  35. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - मौर्य साम्राज्य
  36. उत्तरमाला
  37. प्रश्न- शुंग कौन थे? पुष्यमित्र का शासन प्रबन्ध लिखिये।
  38. प्रश्न- कण्व या कण्वायन वंश को स्पष्ट कीजिए।
  39. प्रश्न- पुष्यमित्र शुंग की धार्मिक नीति की विवेचना कीजिए।
  40. प्रश्न- पतंजलि कौन थे?
  41. प्रश्न- शुंग काल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  42. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - शुंग तथा कण्व वंश
  43. उत्तरमाला
  44. प्रश्न- सातवाहन युगीन दक्कन पर प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- आन्ध्र-सातवाहन कौन थे? गौतमी पुत्र शातकर्णी के राज्य की घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
  46. प्रश्न- शक सातवाहन संघर्ष के विषय में बताइए।
  47. प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख के माध्यम से रुद्रदामन के जीवन तथा व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- शकों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  49. प्रश्न- नहपान कौन था?
  50. प्रश्न- शक शासक रुद्रदामन के विषय में बताइए।
  51. प्रश्न- मिहिरभोज के विषय में बताइए।
  52. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - सातवाहन वंश
  53. उत्तरमाला
  54. प्रश्न- कलिंग नरेश खारवेल के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
  55. प्रश्न- कलिंगराज खारवेल की उपलब्धियों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  56. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - कलिंग नरेश खारवेल
  57. उत्तरमाला
  58. प्रश्न- हिन्द-यवन शक्ति के उत्थान एवं पतन का निरूपण कीजिए।
  59. प्रश्न- मिनेण्डर कौन था? उसकी विजयों तथा उपलब्धियों पर चर्चा कीजिए।
  60. प्रश्न- एक विजेता के रूप में डेमेट्रियस की प्रमुख उपलब्धियों की विवेचना कीजिए।
  61. प्रश्न- हिन्द पहलवों के बारे में आप क्या जानते है? बताइए।
  62. प्रश्न- कुषाणों के भारत में शासन पर एक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- कनिष्क के उत्तराधिकारियों का परिचय देते हुए यह बताइए कि कुषाण वंश के पतन के क्या कारण थे?
  64. प्रश्न- हिन्द-यवन स्वर्ण सिक्के पर प्रकाश डालिए।
  65. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - भारत में विदेशी आक्रमण
  66. उत्तरमाला
  67. प्रश्न- गुप्तों की उत्पत्ति के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
  68. प्रश्न- काचगुप्त कौन थे? स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- प्रयाग प्रशस्ति के आधार पर समुद्रगुप्त की विजयों का उल्लेख कीजिए।
  70. प्रश्न- चन्द्रगुप्त (द्वितीय) की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से लिखिए।
  71. प्रश्न- गुप्त शासन प्रणाली पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  72. प्रश्न- गुप्तकाल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- गुप्तों के पतन का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- गुप्तों के काल को प्राचीन भारत का 'स्वर्ण युग' क्यों कहते हैं? विवेचना कीजिए।
  75. प्रश्न- रामगुप्त की ऐतिहासिकता पर विचार व्यक्त कीजिए।
  76. प्रश्न- गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के विषय में बताइए।
  77. प्रश्न- आर्यभट्ट कौन था? वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- स्कन्दगुप्त की उपलब्धियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  79. प्रश्न- राजा के रूप में स्कन्दगुप्त के महत्व की विवेचना कीजिए।
  80. प्रश्न- कुमारगुप्त पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- कुमारगुप्त प्रथम की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  82. प्रश्न- गुप्तकालीन भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान पर प्रकाश डालिए।
  83. प्रश्न- कालिदास पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- विशाखदत्त कौन था? वर्णन कीजिए।
  85. प्रश्न- स्कन्दगुप्त कौन था?
  86. प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख से किस राजा के विषय में जानकारी मिलती है? उसके विषय में आप सूक्ष्म में बताइए।
  87. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - गुप्त वंश
  88. उत्तरमाला
  89. प्रश्न- दक्षिण के वाकाटकों के उत्कर्ष का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  90. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - वाकाटक वंश
  91. उत्तरमाला
  92. प्रश्न- हूण कौन थे? तोरमाण के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  93. प्रश्न- हूण आक्रमण के भारत पर क्या प्रभाव पड़े? स्पष्ट कीजिए।
  94. प्रश्न- गुप्त साम्राज्य पर हूणों के आक्रमण का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  95. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - हूण आक्रमण
  96. उत्तरमाला
  97. प्रश्न- हर्ष के समकालीन गौड़ नरेश शशांक के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  98. प्रश्न- हर्ष का समकालीन शासक शशांक के साथ क्या सम्बन्ध था? मूल्यांकन कीजिए।
  99. प्रश्न- हर्ष की सामरिक उपलब्धियों के परिप्रेक्ष्य में उसका मूल्यांकन कीजिए।
  100. प्रश्न- सम्राट के रूप में हर्ष का मूल्यांकन कीजिए।
  101. प्रश्न- हर्षवर्धन की सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिये?
  102. प्रश्न- हर्ष का मूल्यांकन पर टिप्पणी कीजिये।
  103. प्रश्न- हर्ष का धर्म पर टिप्पणी कीजिये।
  104. प्रश्न- पुलकेशिन द्वितीय पर टिप्पणी कीजिये।
  105. प्रश्न- ह्वेनसांग कौन था?
  106. प्रश्न- प्रभाकर वर्धन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  107. प्रश्न- गौड़ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  108. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - वर्धन वंश
  109. उत्तरमाला
  110. प्रश्न- मौखरी वंश की उत्पत्ति के विषय में बताते हुए इस वंश के प्रमुख शासकों का उल्लेख कीजिए।
  111. प्रश्न- मौखरी कौन थे? मौखरी राजाओं के जीवन तथा उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  112. प्रश्न- मौखरी वंश का इतिहास जानने के साधनों का वर्णन कीजिए।
  113. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - मौखरी वंश
  114. उत्तरमाला
  115. प्रष्न- परवर्ती गुप्त शासकों का राजनैतिक इतिहास बताइये।
  116. प्रश्न- परवर्ती गुप्त शासकों के मौखरी शासकों से किस प्रकार के सम्बन्ध थे? स्पष्ट कीजिए।
  117. प्रश्न- परवर्ती गुप्तों के इतिहास पर टिप्पणी लिखिए।
  118. प्रश्न- परवर्ती गुप्त शासक नरसिंहगुप्त 'बालादित्य' के विषय में बताइये।
  119. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - परवर्ती गुप्त शासक
  120. उत्तरमाला

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